'सौदा' ख़ुदा के वास्ते कर क़िस्सा मुख़्तसर
अपनी तो नींद उड़ गई तेरे फ़साने में
मोहम्मद रफ़ी सौदा
'सौदा' की जो बालीं पे गया शोर-ए-क़यामत
ख़ुद्दाम-ए-अदब बोले अभी आँख लगी है
मोहम्मद रफ़ी सौदा
'सौदा' तिरी फ़रियाद से आँखों में कटी रात
आई है सहर होने को तुक तू कहीं मर भी
मोहम्मद रफ़ी सौदा
'सौदा' तिरी फ़रियाद से आँखों में कटी रात
आई है सहर होने को तुक तू कहीं मर भी
मोहम्मद रफ़ी सौदा
'सौदा' तू इस ग़ज़ल को ग़ज़ल-दर-ग़ज़ल ही कह
होना है तुझ को 'मीर' से उस्ताद की तरफ़
मोहम्मद रफ़ी सौदा
तिरा ख़त आने से दिल को मेरे आराम क्या होगा
ख़ुदा जाने कि इस आग़ाज़ का अंजाम क्या होगा
मोहम्मद रफ़ी सौदा
तिरा ख़त आने से दिल को मेरे आराम क्या होगा
ख़ुदा जाने कि इस आग़ाज़ का अंजाम क्या होगा
मोहम्मद रफ़ी सौदा