EN اردو
2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

न कर 'सौदा' तू शिकवा हम से दिल की बे-क़रारी का
मोहब्बत किस को देती है मियाँ आराम दुनिया में

मोहम्मद रफ़ी सौदा




नहीं है घर कोई ऐसा जहाँ उस को न देखा हो
कनहय्या से नहीं कुछ कम सनम मेरा वो हरजाई

मोहम्मद रफ़ी सौदा




नहीं है घर कोई ऐसा जहाँ उस को न देखा हो
कनहय्या से नहीं कुछ कम सनम मेरा वो हरजाई

मोहम्मद रफ़ी सौदा




नसीम है तिरे कूचे में और सबा भी है
हमारी ख़ाक से देखो तो कुछ रहा भी है

मोहम्मद रफ़ी सौदा




नौबत-ए-क़ैस हो चुकी आख़िर
अब तो 'सौदा' का बाजता है नाँव

मोहम्मद रफ़ी सौदा




साक़ी हमारी तौबा तुझ पर है क्यूँ गवारा
मिन्नत नहीं तो ज़ालिम तर्ग़ीब या इशारा

मोहम्मद रफ़ी सौदा




समझे थे हम जो दोस्त तुझे ऐ मियाँ ग़लत
तेरा नहीं है जुर्म हमारा गुमाँ ग़लत

मोहम्मद रफ़ी सौदा