कलेजे में हज़ारों दाग़ दिल में हसरतें लाखों
कमाई ले चला हूँ साथ अपने ज़िंदगी भर की
आग़ा शाएर क़ज़लबाश
किस तरह जवानी में चलूँ राह पे नासेह
ये उम्र ही ऐसी है सुझाई नहीं देता
आग़ा शाएर क़ज़लबाश
लो हम बताएँ ग़ुंचा-ओ-गुल में है फ़र्क़ क्या
इक बात है कही हुई इक बे-कही हुई
आग़ा शाएर क़ज़लबाश
मिलना न मिलना ये तो मुक़द्दर की बात है
तुम ख़ुश रहो रहो मिरे प्यारे जहाँ कहीं
आग़ा शाएर क़ज़लबाश
पामाल कर के पूछते हैं किस अदा से वो
इस दिल में आग थी मिरे तलवे झुलस गए
आग़ा शाएर क़ज़लबाश
पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ था
रूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया
आग़ा शाएर क़ज़लबाश
तुम कहाँ वस्ल कहाँ वस्ल की उम्मीद कहाँ
दिल के बहकाने को इक बात बना रखी है
आग़ा शाएर क़ज़लबाश