जब सफ़र 'अफ़सर' कभी करते नहीं
देखे फिर क्यूँ हो तुम मंज़िल के ख़्वाब
अफ़सर मेरठी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
मुझे फ़र्दा की फ़िक्र क्यूँ-कर हो
ग़म-ए-इमरोज़ खाए जाता है
अफ़सर मेरठी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
सुख में होता है हाफ़िज़ा बेकार
दुख में अल्लाह याद आता है
अफ़सर मेरठी
टैग:
| खुदा |
| 2 लाइन शायरी |
तारों का गो शुमार में आना मुहाल है
लेकिन किसी को नींद न आए तो क्या करे
अफ़सर मेरठी
अभी दिलों की तनाबों में सख़्तियाँ हैं बहुत
अभी हमारी दुआ में असर नहीं आया
आफ़ताब हुसैन
टैग:
| दुआ |
| 2 लाइन शायरी |
अभी है हुस्न में हुस्न-ए-नज़र की कार-फ़रमाई
अभी से क्या बताएँ हम कि वो कैसा निकलता है
आफ़ताब हुसैन
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
अपने ही दम से चराग़ाँ है वगरना 'आफ़्ताब'
इक सितारा भी मिरी वीरान शामों में नहीं
आफ़ताब हुसैन
टैग:
| 2 लाइन शायरी |