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तहज़ीब हाफ़ी शायरी | शाही शायरी

तहज़ीब हाफ़ी शेर

16 शेर

मैं सुख़न में हूँ उस जगह कि जहाँ
साँस लेना भी शाइरी है मुझे

तहज़ीब हाफ़ी




पेड़ मुझे हसरत से देखा करते थे
मैं जंगल में पानी लाया करता था

तहज़ीब हाफ़ी




सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को
हाथों में फूल हैं मिरे पाँव में रेत है

तहज़ीब हाफ़ी




तमाम नाख़ुदा साहिल से दूर हो जाएँ
समुंदरों से अकेले में बात करनी है

तहज़ीब हाफ़ी




तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया

तहज़ीब हाफ़ी




वो जिस की छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं
वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता

तहज़ीब हाफ़ी




ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है

तहज़ीब हाफ़ी