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सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है | शाही शायरी
sahra se aane wali hawaon mein ret hai

ग़ज़ल

सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है

तहज़ीब हाफ़ी

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सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है
हिजरत करूँगा गाँव से गाँव में रेत है

ऐ क़ैस तेरे दश्त को इतनी दुआएँ दीं
कुछ भी नहीं है मेरी दुआओं में रेत है

सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को
हाथों में फूल हैं मिरे पाँव में रेत है

मुद्दत से मेरी आँख में इक ख़्वाब है मुक़ीम
पानी में पेड़ पेड़ की छाँव में रेत है

मुझ सा कोई फ़क़ीर नहीं है कि जिस के पास
कश्कोल रेत का है सदाओं में रेत है