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जब उस की तस्वीर बनाया करता था | शाही शायरी
jab uski taswir banaya karta tha

ग़ज़ल

जब उस की तस्वीर बनाया करता था

तहज़ीब हाफ़ी

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जब उस की तस्वीर बनाया करता था
कमरा रंगों से भर जाया करता था

पेड़ मुझे हसरत से देखा करते थे
मैं जंगल में पानी लाया करता था

थक जाता था बादल साया करते करते
और फिर मैं बादल पे साया करता था

बैठा रहता था साहिल पे सारा दिन
दरिया मुझ से जान छुड़ाया करता था

बिंत-ए-सहरा रूठा करती थी मुझ से
मैं सहरा से रेत चुराया करता था