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फ़लसफ़े इश्क़ में पेश आए सवालों की तरह | शाही शायरी
falsafe ishq mein pesh aae sawalon ki tarah

ग़ज़ल

फ़लसफ़े इश्क़ में पेश आए सवालों की तरह

सुदर्शन फ़ाख़िर

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फ़लसफ़े इश्क़ में पेश आए सवालों की तरह
हम परेशाँ ही रहे अपने ख़यालों की तरह

शीशागर बैठे रहे ज़िक्र-ए-मसीहा ले कर
और हम टूट गए काँच के प्यालों की तरह

जब भी अंजाम-ए-मोहब्बत ने पुकारा ख़ुद को
वक़्त ने पेश किया हम को मिसालों की तरह

ज़िक्र जब होगा मोहब्बत में तबाही का कहीं
याद हम आएँगे दुनिया को हवालों की तरह