हम बनाएँगे यहाँ 'साग़र' नई तस्वीर-ए-शौक़
हम तख़य्युल के मुजद्दिद हम तसव्वुर के इमाम
साग़र सिद्दीक़ी
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हूरों की तलब और मय ओ साग़र से है नफ़रत
ज़ाहिद तिरे इरफ़ान से कुछ भूल हुई है
साग़र सिद्दीक़ी
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जब जाम दिया था साक़ी ने जब दौर चला था महफ़िल में
इक होश की साअत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए
साग़र सिद्दीक़ी
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झिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गई
जगमगाती हुई बरसात ने दम तोड़ दिया
साग़र सिद्दीक़ी
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जिन से अफ़्साना-ए-हस्ती में तसलसुल था कभी
उन मोहब्बत की रिवायात ने दम तोड़ दिया
साग़र सिद्दीक़ी
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