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नोमान शौक़ शायरी | शाही शायरी

नोमान शौक़ शेर

85 शेर

जाने किस उम्मीद पे छोड़ आए थे घर-बार लोग
नफ़रतों की शाम याद आए पुराने यार लोग

नोमान शौक़




इतनी ताज़ीम हुई शहर में उर्यानी की
रात आँखों ने भी जी भर के बदन-ख़्वानी की

नोमान शौक़




इश्क़ में सच्चा था वो मेरी तरह
बेवफ़ा तो आज़माने से हुआ

नोमान शौक़




आइने का सामना अच्छा नहीं है बार बार
एक दिन अपनी ही आँखों में खटक सकता हूँ मैं

नोमान शौक़




इश्क़ का मतलब किसे मालूम था
जिन दिनों आए थे हम दिल हार के

नोमान शौक़




इस बार इंतिज़ाम तो सर्दी का हो गया
क्या हाल पेड़ कटते ही बस्ती का हो गया

नोमान शौक़




हर मुत्तक़ी को इस से सबक़ लेना चाहिए
जन्नत की चाह ने जिसे शद्दाद कर दिया

नोमान शौक़




हमें बुरा नहीं लगता सफ़ेद काग़ज़ भी
ये तितलियाँ तो तुम्हारे लिए बनाते हैं

नोमान शौक़




हम को डरा कर, आप को ख़ैरात बाँट कर
इक शख़्स रातों-रात जहाँगीर हो गया

नोमान शौक़