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नोमान शौक़ शायरी | शाही शायरी

नोमान शौक़ शेर

85 शेर

फ़क़ीर लोग रहे अपने अपने हाल में मस्त
नहीं तो शहर का नक़्शा बदल चुका होता

नोमान शौक़




बदन ने कितनी बढ़ा ली है सल्तनत अपनी
बसे हैं इश्क़ ओ हवस सब इसी इलाक़े में

नोमान शौक़




बड़े घरों में रही है बहुत ज़माने तक
ख़ुशी का जी नहीं लगता ग़रीब-ख़ाने में

नोमान शौक़




और मत देखिए अब अद्ल-ए-जहाँगीर के ख़्वाब
और कुछ कीजिए ज़ंजीर हिलाने के सिवा

नोमान शौक़




अपनी आहट पे चौंकता हूँ मैं
किस की दुनिया में आ गया हूँ मैं

नोमान शौक़




ऐसी ही एक शब में किसी से मिला था दिल
बारिश के साथ साथ बरसती है रौशनी

नोमान शौक़




अब इसे ग़र्क़ाब करने का हुनर भी सीख लूँ
इस शिकारे को अगर फूलों से ढक सकता हूँ मैं

नोमान शौक़




आसमानों से ज़मीं की तरफ़ आते हुए हम
एक मजमे के लिए शेर सुनाते हुए हम

नोमान शौक़




आप की सादा-दिली से तंग आ जाता हूँ मैं
मेरे दिल में रह चुके हैं इस क़दर हुश्यार लोग

नोमान शौक़