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नोमान शौक़ शायरी | शाही शायरी

नोमान शौक़ शेर

85 शेर

हम जैसों ने जान गँवाई पागल थे
दुनिया जैसी कल थी बिल्कुल वैसी है

नोमान शौक़




हम भी माचिस की तीलियों से थे
जो हुआ सिर्फ़ एक बार हुआ

नोमान शौक़




हम बहुत पछताए आवाज़ों से रिश्ता जोड़ कर
शोर इक लम्हे का था और ज़िंदगी भर का सुकूत

नोमान शौक़




ग़म इस क़दर नहीं थे ढले जितने शेर में
दौलत बनाई ख़ूब मता-ए-क़लील से

नोमान शौक़