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मुईन अहसन जज़्बी शायरी | शाही शायरी

मुईन अहसन जज़्बी शेर

29 शेर

अल्लाह-रे बे-ख़ुदी कि चला जा रहा हूँ मैं
मंज़िल को देखता हुआ कुछ सोचता हुआ

मुईन अहसन जज़्बी




ऐ मौज-ए-बला उन को भी ज़रा दो चार थपेड़े हल्के से
कुछ लोग अभी तक साहिल से तूफ़ाँ का नज़ारा करते हैं

मुईन अहसन जज़्बी