हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं
ख़ुमार बाराबंकवी
इक गुज़ारिश है हज़रत-ए-नासेह
आप अब और कोई काम करें
O preacher just one supplication
please find an alternate vocation
ख़ुमार बाराबंकवी
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इलाही मिरे दोस्त हों ख़ैरियत से
ये क्यूँ घर में पत्थर नहीं आ रहे हैं
ख़ुमार बाराबंकवी
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