EN اردو
जावेद सबा शायरी | शाही शायरी

जावेद सबा शेर

13 शेर

तेरा मेरा कोई रिश्ता तो नहीं है लेकिन
मैं ने जो ख़्वाब में देखा है कोई देख न ले

जावेद सबा




उस ने आँचल से निकाली मिरी गुम-गश्ता बयाज़
और चुपके से मोहब्बत का वरक़ मोड़ दिया

जावेद सबा




वहशत का ये आलम कि पस-ए-चाक गरेबाँ
रंजिश है बहारों से उलझते हैं ख़िज़ाँ से

जावेद सबा




ये जो महफ़िल में मिरे नाम से मौजूद हूँ मैं
मैं नहीं हूँ मिरा धोका है कोई देख न ले

जावेद सबा