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उस ने आवारा-मिज़ाजी को नया मोड़ दिया | शाही शायरी
usne aawara-mizaji ko naya moD diya

ग़ज़ल

उस ने आवारा-मिज़ाजी को नया मोड़ दिया

जावेद सबा

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उस ने आवारा-मिज़ाजी को नया मोड़ दिया
पा-ब-ज़ंजीर किया और मुझे छोड़ दिया

उस ने आँचल से निकाली मिरी गुम-गश्ता बयाज़
और चुपके से मोहब्बत का वरक़ मोड़ दिया

जाने वाले ने हमेशा की जुदाई दे कर
दिल को आँखों में धड़कने के लिए छोड़ दिया

हम को मालूम था अंजाम-ए-मोहब्बत हम ने
आख़िरी हर्फ़ से पहले ही क़लम तोड़ दिया