EN اردو
फ़रहत शहज़ाद शायरी | शाही शायरी

फ़रहत शहज़ाद शेर

14 शेर

अज़ीज़ मुझ को हैं तूफ़ान साहिलों से सिवा
इसी लिए है ख़फ़ा मेरा नाख़ुदा मुझ से

फ़रहत शहज़ाद




बात अपनी अना की है वर्ना
यूँ तो दो हाथ पर किनारा है

फ़रहत शहज़ाद




देख के जिस को दिल दुखता था
वो तस्वीर जला दी हम ने

फ़रहत शहज़ाद




हम से तंहाई के मारे नहीं देखे जाते
बिन तिरे चाँद सितारे नहीं देखे जाते

फ़रहत शहज़ाद




हर्फ़ जैसे हो गए सारे मुनाफ़िक़ एक दम
कौन से लफ़्ज़ों में समझाऊँ तुम्हें दिल का पयाम

फ़रहत शहज़ाद




इतनी पी जाए कि मिट जाए मैं और तू की तमीज़
यानी ये होश की दीवार गिरा दी जाए

the formality of you and I should in wine be drowned
meaning that these barriers of sobriety be downed

फ़रहत शहज़ाद




मैं शायद तेरे दुख में मर गया हूँ
कि अब सीने में कुछ दुखता नहीं है

फ़रहत शहज़ाद




मुझ पे हो जाए तिरी चश्म-ए-करम गर पल भर
फिर मैं ये दोनों जहाँ ''बात ज़रा सी'' लिक्खूँ

फ़रहत शहज़ाद




परस्तिश की है मेरी धड़कनों ने
तुझे मैं ने फ़क़त चाहा नहीं है

फ़रहत शहज़ाद