ख़त्म हुईं सारी बातें
अच्छा अब चलता हूँ मैं
बासिर सुल्तान काज़मी
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कुछ तो हस्सास हम ज़ियादा हैं
कुछ वो बरहम ज़ियादा होता है
बासिर सुल्तान काज़मी
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रुक गया हाथ तिरा क्यूँ 'बासिर'
कोई काँटा तो न था फूलों में
बासिर सुल्तान काज़मी
तेरे दिए हुए दुख
तेरे नाम करेंगे
बासिर सुल्तान काज़मी
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तू जब सामने होता है
और कहीं होता हूँ मैं
बासिर सुल्तान काज़मी
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