दौलत-ए-दुनिया नहीं जाने की हरगिज़ तेरे साथ
बाद तेरे सब यहीं ऐ बे-ख़बर बट जाएगी
बहादुर शाह ज़फ़र
देख दिल को मिरे ओ काफ़िर-ए-बे-पीर न तोड़
घर है अल्लाह का ये इस की तो तामीर न तोड़
बहादुर शाह ज़फ़र
दिल को दिल से राह है तो जिस तरह से हम तुझे
याद करते हैं करे यूँ ही हमें भी याद तू
बहादुर शाह ज़फ़र
फ़रहाद ओ क़ैस ओ वामिक़ ओ अज़रा थे चार दोस्त
अब हम भी आ मिले तो हुए मिल के चार पाँच
बहादुर शाह ज़फ़र
ऐ वाए इंक़लाब ज़माने के जौर से
दिल्ली 'ज़फ़र' के हाथ से पल में निकल गई
बहादुर शाह ज़फ़र
हाल-ए-दिल क्यूँ कर करें अपना बयाँ अच्छी तरह
रू-ब-रू उन के नहीं चलती ज़बाँ अच्छी तरह
बहादुर शाह ज़फ़र
हाथ क्यूँ बाँधे मिरे छल्ला अगर चोरी हुआ
ये सरापा शोख़ी-ए-रंग-ए-हिना थी मैं न था
बहादुर शाह ज़फ़र
हम अपना इश्क़ चमकाएँ तुम अपना हुस्न चमकाओ
कि हैराँ देख कर आलम हमें भी हो तुम्हें भी हो
बहादुर शाह ज़फ़र
हम ही उन को बाम पे लाए और हमीं महरूम रहे
पर्दा हमारे नाम से उट्ठा आँख लड़ाई लोगों ने
I had brought her to the stage and then I was denied
the curtain, in my name, was raised, but others gratified
बहादुर शाह ज़फ़र