सुख की ख़ातिर दुख मत बेच
जाल के पीछे जाल न डाल
अहमद जावेद
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तिरी दुनिया में ऐ दिल हम भी इक गोशे में रहते हैं
हमें भी कुछ उम्मीदें हैं तिरी आलम-पनाही से
अहमद जावेद
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तुलू-ए-साअत-ए-शब-ख़ूँ है और मेरा दिल
किसी सितारा-ए-बद की निगाह में आया
अहमद जावेद
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उस की आँखों के वस्फ़ क्या लिक्खूँ
जैसे ख़्वाबों का बे-कराँ ठहराओ
अहमद जावेद
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यही दिल जो इक बूँद है बहर-ए-ग़म की
डुबो देगा सब शहर तूफ़ान कर के
अहमद जावेद
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ये एक लम्हे की दूरी बहुत है मेरे लिए
तमाम उम्र तिरा इंतिज़ार करने को
अहमद जावेद
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ये क्या चीज़ तामीर करने चले हो
बिना-ए-मोहब्बत को वीरान कर के
अहमद जावेद
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