कौन अंगड़ाई ले रहा है 'अदम'
दो जहाँ लड़खड़ाए जाते हैं
अब्दुल हमीद अदम
शाख़-ए-गुल झूम के गुलज़ार में सीधी जो हुई
फिर गया आँख में नक़्शा तिरी अंगड़ाई का
आग़ा हज्जू शरफ़
हद-ए-तकमील को पहुँची तिरी रानाई-ए-हुस्न
जो कसर थी वो मिटा दी तिरी अंगड़ाई ने
आनंद नारायण मुल्ला
अपने मरकज़ की तरफ़ माइल-ए-परवाज़ था हुस्न
भूलता ही नहीं आलम तिरी अंगड़ाई का
अज़ीज़ लखनवी
दिल का क्या हाल कहूँ सुब्ह को जब उस बुत ने
ले के अंगड़ाई कहा नाज़ से हम जाते हैं
how to describe my state when at the crack of dawn
she stretched in lagour and said it was time to be gone
दाग़ देहलवी
कौन ये ले रहा है अंगड़ाई
आसमानों को नींद आती है
फ़िराक़ गोरखपुरी
दरिया-ए-हुस्न और भी दो हाथ बढ़ गया
अंगड़ाई उस ने नश्शे में ली जब उठा के हाथ
इमाम बख़्श नासिख़