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सिब्त अली सबा शायरी | शाही शायरी

सिब्त अली सबा शेर

2 शेर

दीवार क्या गिरी मिरे ख़स्ता मकान की
लोगों ने मेरे सेहन में रस्ते बना लिए

सिब्त अली सबा




जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया
माँ ने अपने ला'ल की तख़्ती जला दी रात को

सिब्त अली सबा