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साहिर होशियारपुरी शायरी | शाही शायरी

साहिर होशियारपुरी शेर

13 शेर

आख़िर तड़प तड़प के ये ख़ामोश हो गया
दिल को सुकून मिल ही गया इज़्तिराब में

साहिर होशियारपुरी




अब तो एहसास-ए-तमन्ना भी नहीं
क़ाफ़िला दिल का लुटा हो जैसे

साहिर होशियारपुरी




अहल-ए-कश्ती ने ख़ुद-कुशी की थी
हुआ बदनाम नाख़ुदा का नाम

साहिर होशियारपुरी




अपनी अपनी ज़ात में गुम हैं अहल-ए-दिल भी अहल-ए-नज़र भी
महफ़िल में दिल क्यूँकर बहले महफ़िल में तन्हाई बहुत है

साहिर होशियारपुरी




दिल वो सहरा है कि जिस में रात दिन
फूल खिलते हैं बहार आती नहीं

साहिर होशियारपुरी




हम को अग़्यार का गिला क्या है
ज़ख़्म खाएँ हैं हम ने यारों से

why should enemies be my reason to complain
when at the hands of friends, I have suffered pain

साहिर होशियारपुरी




हम क़रीब आ कर और दूर हुए
अपने अपने नसीब होते हैं

साहिर होशियारपुरी




हुई थी ख़्वाब में ख़ुशबू सी महसूस
तुम आए ख़्वाब की ता'बीर देखी

साहिर होशियारपुरी




जब बिगड़ते हैं बात बात पे वो
वस्ल के दिन क़रीब होते हैं

साहिर होशियारपुरी