हमें वास्ता तड़प से हमें काम आँसुओं से
तुझे याद कर के रोए या तुझे भुला के रोए
राजेन्द्र कृष्ण
इक छोटा सा था मेरा आशियाँ
आज तिनके से अलग तिनका हुआ
राजेन्द्र कृष्ण
इक मोहब्बत के सिवा और न कुछ माँगा था
क्या करें ये भी ज़माने को गवारा न हुआ
राजेन्द्र कृष्ण
मुरझा चुका है फिर भी ये दिल फूल ही तो है
अब आप की ख़ुशी इसे काँटों में तौलिए
राजेन्द्र कृष्ण
न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है
दुआ को हाथ उठाओ कि ग़म की रात कटे
राजेन्द्र कृष्ण
न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा मगर दिल टूट जाएँगे
राजेन्द्र कृष्ण
ये नाज़ुक लब हैं या आपस में दो लिपटी हुई कलियाँ
ज़रा इन को अलग कर दो तरन्नुम फूट जाएँगे
राजेन्द्र कृष्ण