कल चमन था आज इक सहरा हुआ
देखते ही देखते ये क्या हुआ
मुझ को बर्बादी का कोई ग़म नहीं
ग़म है बर्बादी का क्यूँ चर्चा हुआ
इक छोटा सा था मेरा आशियाँ
आज तिनके से अलग तिनका हुआ
सोचता हूँ अपने घर को देख कर
हो न हो ये है मेरा देखा हुआ
देखने वालों ने देखा है धुआँ
किस ने देखा दिल मिरा जलता हुआ
ग़ज़ल
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
राजेन्द्र कृष्ण