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नक़्श लायलपुरी शायरी | शाही शायरी

नक़्श लायलपुरी शेर

3 शेर

हम ने क्या पा लिया हिन्दू या मुसलमाँ हो कर
क्यूँ न इंसाँ से मोहब्बत करें इंसाँ हो कर

नक़्श लायलपुरी




नाम होंटों पे तिरा आए तो राहत सी मिले
तू तसल्ली है दिलासा है दुआ है क्या है

नक़्श लायलपुरी




ये अंजुमन ये क़हक़हे ये महवशों की भीड़
फिर भी उदास फिर भी अकेली है ज़िंदगी

नक़्श लायलपुरी