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मीर अनीस शायरी | शाही शायरी

मीर अनीस शेर

9 शेर

आशिक़ को देखते हैं दुपट्टे को तान कर
देते हैं हम को शर्बत-ए-दीदार छान कर

मीर अनीस




'अनीस' आसाँ नहीं आबाद करना घर मोहब्बत का
ये उन का काम है जो ज़िंदगी बर्बाद करते हैं

मीर अनीस




'अनीस' दम का भरोसा नहीं ठहर जाओ
चराग़ ले के कहाँ सामने हवा के चले

मीर अनीस




अश्क-ए-ग़म दीदा-ए-पुर-नम से सँभाले न गए
ये वो बच्चे हैं जो माँ बाप से पाले न गए

मीर अनीस




गुल-दस्ता-ए-मअनी को नए ढंग से बाँधूँ
इक फूल का मज़मूँ हो तो सौ रंग से बाँधूँ

मीर अनीस




करीम जो तुझे देना है बे-तलब दे दे
फ़क़ीर हूँ प नहीं आदत-ए-सवाल मुझे

मीर अनीस




लगा रहा हूँ मज़ामीन-ऐ-नौ के फिर अम्बार
ख़बर करो मेरे ख़िरमन के ख़ोशा-चीनों को

मीर अनीस




मिसाल-ए-माही-ए-बे-आब मौज तड़पा की
हबाब फूट के रोए जो तुम नहा के चले

मीर अनीस




तमाम उम्र जो की हम से बे-रुख़ी सब ने
कफ़न में हम भी अज़ीज़ों से मुँह छुपा के चले

मीर अनीस