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मर्ग़ूब हसन शायरी | शाही शायरी

मर्ग़ूब हसन शेर

2 शेर

हवा के साथ सफ़र का न हौसला था जिसे
सभी को ख़ौफ़ उसी लम्हा-ए-शरर से था

मर्ग़ूब हसन




यही बहुत है कि मिट्टी जड़ों से लिपटी है
वगर्ना आज दरख़्तों में बर्ग-ओ-बार नहीं

मर्ग़ूब हसन