EN اردو
ख़ालिद अहमद शायरी | शाही शायरी

ख़ालिद अहमद शेर

3 शेर

फूल से बास जुदा फ़िक्र से एहसास जुदा
फ़र्द से टूट गए फ़र्द क़बीले न रहे

ख़ालिद अहमद




तर्क-ए-तअल्लुक़ात पे रोया न तू न मैं
लेकिन ये क्या कि चैन से सोया न तू न मैं

ख़ालिद अहमद




वो गली हम से छूटती ही नहीं
क्या करें आस टूटती ही नहीं

ख़ालिद अहमद