बे-कैफ़ कट रही थी मुसलसल ये ज़िंदगी
फिर ख़्वाब में वो ख़्वाब सा पैकर मिला मुझे
फ़व्वाद अहमद
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दिल ओ नज़र की बक़ा है फ़क़त मोहब्बत में
दिल ओ नज़र से कोई और काम मत लेना
फ़व्वाद अहमद
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जो पलकों से गिर जाए आँसू का क़तरा
जो पलकों में रह जाएगा वो गुहर है
फ़व्वाद अहमद
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रूठे लोगों को मनाने में मज़ा आता है
जान कर आप को नाराज़ किया है मैं ने
फ़व्वाद अहमद
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तुम मुझे छोड़ के इस तरह नहीं जा सकते
इस तअ'ल्लुक़ पे बहुत नाज़ किया है मैं ने
फ़व्वाद अहमद
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वो जिस का नाम पड़ा है ख़मोश लोगों में
यहाँ पे लफ़्ज़ों के दरिया बहा रहा था अभी
फ़व्वाद अहमद
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