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फ़हमी बदायूनी शायरी | शाही शायरी

फ़हमी बदायूनी शेर

11 शेर

आज पैवंद की ज़रूरत है
ये सज़ा है रफ़ू न करने की

फ़हमी बदायूनी




आप तशरीफ़ लाए थे इक रोज़
दूसरे रोज़ ए'तिबार हुआ

फ़हमी बदायूनी




बदन का ज़िक्र बातिल है तो आओ
बिना सर पैर की बातें करेंगे

फ़हमी बदायूनी




ख़ुशी से काँप रही थीं ये उँगलियाँ इतनी
डिलीट हो गया इक शख़्स सेव करने में

फ़हमी बदायूनी




ख़ूँ पिला कर जो शेर पाला था
उस ने सर्कस में नौकरी कर ली

फ़हमी बदायूनी




मैं ने उस की तरफ़ से ख़त लिक्खा
और अपने पते पे भेज दिया

फ़हमी बदायूनी




निगाहें करती रह जाती हैं हिज्जे
वो जब चेहरे से इमला बोलता है

फ़हमी बदायूनी




परेशाँ है वो झूटा इश्क़ कर के
वफ़ा करने की नौबत आ गई है

फ़हमी बदायूनी




पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
कितना आसान था इलाज मिरा

फ़हमी बदायूनी