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पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा | शाही शायरी
puchh lete wo bas mizaj mera

ग़ज़ल

पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा

फ़हमी बदायूनी

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पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
कितना आसान था इलाज मिरा

चारा-गर की नज़र बताती है
हाल अच्छा नहीं है आज मिरा

मैं तो रहता हूँ दश्त में मसरूफ़
क़ैस करता है काम-काज मिरा

कोई कासा मदद को भेज अल्लाह
मेरे बस में नहीं है ताज मिरा

मैं मोहब्बत की बादशाहत हूँ
मुझ पे चलता नहीं है राज मिरा