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बहज़ाद लखनवी शायरी | शाही शायरी

बहज़ाद लखनवी शेर

8 शेर

आता है जो तूफ़ाँ आने दे कश्ती का ख़ुदा ख़ुद हाफ़िज़ है
मुमकिन है कि उठती लहरों में बहता हुआ साहिल आ जाए

this vessel is by God sustained let the mighty storms appear,

बहज़ाद लखनवी


टैग: | साहिल | | Kashti | | खुदा |


ऐ दिल की ख़लिश चल यूँही सही चलता तो हूँ उन की महफ़िल में
उस वक़्त मुझे चौंका देना जब रंग पे महफ़िल आ जाए

O heartache, come,I do agree, to go and join her company
there rouse me from my reverie, when it befits the atmosphere

बहज़ाद लखनवी




ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए
मंज़िल के लिए दो गाम चलूँ और सामने मंज़िल आ जाए

Mine heart's resolve if I so wish, all will be so nigh and clear
I take two steps toward my goal, and straight ahead it would appea

बहज़ाद लखनवी




हम भी ख़ुद को तबाह कर लेते
तुम इधर भी निगाह कर लेते

बहज़ाद लखनवी




इश्क़ का एजाज़ सज्दों में निहाँ रखता हूँ मैं
नक़्श-ए-पा होती है पेशानी जहाँ रखता हूँ मैं

बहज़ाद लखनवी




मैं ढूँढ रहा हूँ मिरी वो शम्अ कहाँ है
जो बज़्म की हर चीज़ को परवाना बना दे

बहज़ाद लखनवी




मुझे तो होश न था उन की बज़्म में लेकिन
ख़मोशियों ने मेरी उन से कुछ कलाम किया

बहज़ाद लखनवी




ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं
जलता हुआ दिया हूँ मगर रौशनी नहीं

बहज़ाद लखनवी