हम भी 'असलम' इसी गुमान में हैं
हम ने भी कोई ज़िंदगी जी थी
असलम इमादी
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हवाएँ शहर की आलूदा-ए-कसाफ़त हैं
ये साफ़-सुथरा-पन और ये नफ़ासतें झूटी
असलम इमादी
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हज़ार रास्ते बदले हज़ार स्वाँग रचे
मगर है रक़्स में सर पर इक आसमान वही
असलम इमादी
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नमी उतर गई धरती में तह-ब-तह 'असलम'
बहार-ए-अश्क नई रुत की इब्तिदा में है
असलम इमादी
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तुम मिरे कमरे के अंदर झाँकने आए हो क्यूँ
सो रहा हूँ चैन से हूँ ठीक है सब ठीक है
असलम इमादी
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तुम्हारे दर्द से जागे तो उन की क़द्र खुली
वगरना पहले भी अपने थे जिस्म-ओ-जान वही
असलम इमादी
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उन्हें ये फ़िक्र कि दिल को कहाँ छुपा रक्खें
हमें ये शौक़ कि दिल का ख़सारा क्यूँकर हो
असलम इमादी
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