अजब कशिश है तिरे होने या न होने में
गुमाँ ने मुझ को हक़ीक़त से बाँध रक्खा है
अरशद लतीफ़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
जब मैं उस आदमी से दूर हुआ
ग़म मिरी ज़िंदगी से दूर हुआ
अरशद लतीफ़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ख़ला का मसअला ही मुख़्तलिफ़ है
समुंदर इस क़दर गहरा नहीं है
अरशद लतीफ़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
किस के सवाल पर ये दिल रोता है सारी सारी रात
कौन हबीब है मिरा तेरे ख़याल के सिवा
अरशद लतीफ़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कोई तो मोजज़ा ऐसा भी हो अपनी मोहब्बत में
तिरे इंकार से इक़रार की सूरत निकल आए
अरशद लतीफ़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
फैलती जा रही है ये दुनिया
जश्न-ए-आवारगी मनाने में
अरशद लतीफ़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
सभी ताबीर उस की लिख रहे हैं
किसी ने भी उसे देखा नहीं है
अरशद लतीफ़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |