किसी सूरत अगर इज़हार की सूरत निकल आए
तो मुमकिन है किसी से प्यार की सूरत निकल आए
मसीहाई पे वो काफ़िर अगर ईमान ले आए
शिफ़ा की शक्ल में बीमार की सूरत निकल आए
अगर वो बेवफ़ा ज़िद छोड़ दे और ठीक हो जाए
तो शायद फिर मिरे घर-बार की सूरत निकल आए
कोई तो मोजज़ा ऐसा भी हो अपनी मोहब्बत में
तिरे इंकार से इक़रार की सूरत निकल आए
बहुत दिन हो गए 'अरशद' वो मुखड़ा चाँद सा देखे
दुआ करना कोई दीदार की सूरत निकल आए
ग़ज़ल
किसी सूरत अगर इज़हार की सूरत निकल आए
अरशद लतीफ़