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अमजद शहज़ाद शायरी | शाही शायरी

अमजद शहज़ाद शेर

2 शेर

धुल जाते हैं इक दिन आख़िर जैसे भी हों दाग़
मन का मैल और मैली चादर धो सकता है कौन

अमजद शहज़ाद




तुझ से मिरा मुआमला होता ब-राह-ए-रास्त
ये इश्क़ दरमियान न होता तो ठीक था

अमजद शहज़ाद