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पपड़ी शायरी | शाही शायरी

पपड़ी

16 शेर

तौबा की रिंदों में गुंजाइश कहाँ
जब ये आएगी निकाली जाएगी

मुबारक अज़ीमाबादी




रिंदों को पाबंदी-ए-दुनिया कहाँ
कश्ती-ए-मय को नहीं लंगर की चाह

मुनीर शिकोहाबादी