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पाणि शायरी | शाही शायरी

पाणि

16 शेर

पानी ने जिसे धूप की मिट्टी से बनाया
वो दाएरा-ए-रब्त बिगड़ने के लिए था

हनीफ़ तरीन




वो धूप थी कि ज़मीं जल के राख हो जाती
बरस के अब के बड़ा काम कर गया पानी

लईक़ आजिज़




हैरान मत हो तैरती मछली को देख कर
पानी में रौशनी को उतरते हुए भी देख

मोहम्मद अल्वी




वो मजबूरी मौत है जिस में कासे को बुनियाद मिले
प्यास की शिद्दत जब बढ़ती है डर लगता है पानी से

मोहसिन असरार




हँसता पानी रोता पानी
मुझ को आवाज़ें देता था

नासिर काज़मी




हम इंतिज़ार करें हम को इतनी ताब नहीं
पिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं

नूह नारवी




मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए

राहत इंदौरी