मैं ने उस की तरफ़ से ख़त लिक्खा
और अपने पते पे भेज दिया
फ़हमी बदायूनी
क्या भूल गए हैं वो मुझे पूछना क़ासिद
नामा कोई मुद्दत से मिरे काम न आया
फ़ना बुलंदशहरी
ना-उमीदी मौत से कहती है अपना काम कर
आस कहती है ठहर ख़त का जवाब आने को है
फ़ानी बदायुनी
रूह घबराई हुई फिरती है मेरी लाश पर
क्या जनाज़े पर मेरे ख़त का जवाब आने को है
फ़ानी बदायुनी
आज का ख़त ही उसे भेजा है कोरा लेकिन
आज का ख़त ही अधूरा नहीं लिख्खा मैं ने
हामिद मुख़्तार हामिद
या उस से जवाब-ए-ख़त लाना या क़ासिद इतना कह देना
बचने का नहीं बीमार तिरा इरशाद अगर कुछ भी न हुआ
हक़ीर
कभी ये फ़िक्र कि वो याद क्यूँ करेंगे हमें
कभी ख़याल कि ख़त का जवाब आएगा
हिज्र नाज़िम अली ख़ान