सितम ही करना जफ़ा ही करना निगाह-ए-उल्फ़त कभी न करना
तुम्हें क़सम है हमारे सर की हमारे हक़ में कमी न करना
दाग़ देहलवी
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
इक तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल है सो वो उन को मुबारक
इक अर्ज़-ए-तमन्ना है सो हम करते रहेंगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
बहुत दूर तो कुछ नहीं घर मिरा
चले आओ इक दिन टहलते हुए
हफ़ीज़ जौनपुरी
कहीं वो आ के मिटा दें न इंतिज़ार का लुत्फ़
कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी
let her not come to me and this pleasure destroy
let not my prayers be answered, for waiting is a joy
हसरत जयपुरी
ये इल्तिजा दुआ ये तमन्ना फ़ुज़ूल है
सूखी नदी के पास समुंदर न जाएगा
हयात लखनवी
अब तो आ जाओ रस्म-ए-दुनिया की
मैं ने दीवार भी गिरा दी है
जावेद कमाल रामपुरी