हर नए हादसे पे हैरानी
पहले होती थी अब नहीं होती
बाक़ी सिद्दीक़ी
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तुम अभी शहर में क्या नए आए हो
रुक गए राह में हादसा देख कर
बशीर बद्र
ज़िंदगी इक हादसा है और कैसा हादसा
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं
जिगर मुरादाबादी
तस्वीर-ए-ज़िंदगी में नया रंग भर गए
वो हादसे जो दिल पे हमारे गुज़र गए
महेश चंद्र नक़्श
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ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
मुज़फ़्फ़र रज़्मी
उन्हें सदियों न भूलेगा ज़माना
यहाँ जो हादसे कल हो गए हैं
नासिर काज़मी
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वक़्त करता है परवरिश बरसों
हादिसा एक दम नहीं होता
क़ाबिल अजमेरी