ग़म से एहसास का आईना जिला पाता है
और ग़म सीखे है आ कर ये सलीक़ा मुझ से
जावेद वशिष्ट
मिरे अंदर कई एहसास पत्थर हो रहे हैं
ये शीराज़ा बिखरना अब ज़रूरी हो गया है
ख़ुशबीर सिंह शाद
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रेज़ा रेज़ा कर दिया जिस ने मिरे एहसास को
किस क़दर हैरान है वो मुझ को यकजा देख कर
ख़ुशबीर सिंह शाद
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मुझे ये डर है दिल-ए-ज़िंदा तू न मर जाए
कि ज़िंदगानी इबारत है तेरे जीने से
ख़्वाजा मीर 'दर्द'
तन्हाई के लम्हात का एहसास हुआ है
जब तारों भरी रात का एहसास हुआ है
नसीम शाहजहाँपुरी
हमें कम-बख़्त एहसास-ए-ख़ुदी उस दर पे ले बैठा
हम उठ जाते तो वो पर्दा भी उठ जाता जो हाइल था
नातिक़ गुलावठी