दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
राहत इंदौरी
मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे
राहत इंदौरी
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ख़ुदा के वास्ते मौक़ा न दे शिकायत का
कि दोस्ती की तरह दुश्मनी निभाया कर
साक़ी फ़ारुक़ी
हुस्न आईना फ़ाश करता है
ऐसे दुश्मन को संगसार करो
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम