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दिल शायरी | शाही शायरी

दिल

292 शेर

''आप की याद आती रही रात भर''
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया

what else is there now for me to view
I have experienced being in love with you

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




दिल से तो हर मोआमला कर के चले थे साफ़ हम
कहने में उन के सामने बात बदल बदल गई

I ventured forth with all my thoughts properly arranged
In her presence when I spoke, the meaning had all changed

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




जानता है कि वो न आएँगे
फिर भी मसरूफ़-ए-इंतिज़ार है दिल

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़




तेज़ है आज दर्द-ए-दिल साक़ी
तल्ख़ी-ए-मय को तेज़-तर कर दे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़