EN اردو
''आप की याद आती रही रात भर'' | शाही शायरी
aap ki yaad aati rahi raat bhar

ग़ज़ल

''आप की याद आती रही रात भर''

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

;

''आप की याद आती रही रात भर''
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर

गाह जलती हुई गाह बुझती हुई
शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात भर

कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन
कोई तस्वीर गाती रही रात भर

फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात भर

जो न आया उसे कोई ज़ंजीर-ए-दर
हर सदा पर बुलाती रही रात भर

एक उम्मीद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती रही रात भर