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दिल्ली शायरी | शाही शायरी

दिल्ली

17 शेर

दिल्ली छुटी थी पहले अब लखनऊ भी छोड़ें
दो शहर थे ये अपने दोनों तबाह निकले

मिर्ज़ा हादी रुस्वा




पगड़ी अपनी यहाँ सँभाल चलो
और बस्ती न हो ये दिल्ली है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




इन दिनों गरचे दकन में है बड़ी क़द्र-ए-सुख़न
कौन जाए 'ज़ौक़' पर दिल्ली की गलियाँ छोड़ कर

शेख़ इब्राहीम ज़ौक़