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तौबा ज़ाहिद की तौबा तल्ली है | शाही शायरी
tauba zahid ki tauba talli hai

ग़ज़ल

तौबा ज़ाहिद की तौबा तल्ली है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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तौबा ज़ाहिद की तौबा तल्ली है
चिल्ले बैठे तो शैख़ चिल्ली है

दिल में है मक्र व हाथ में तस्बीह
ये इबादत नहीं चबल्ली है

रीश है ये कि शाख़-ए-शाना है
जिस की रिंदों के बीच खिल्ली है

पगड़ी अपनी यहाँ सँभाल चलो
और बस्ती न हो ये दिल्ली है

सग-ए-शेर-ए-ख़ुदा है तू 'हातिम'
ख़ारिजी तेरे आगे बिल्ली है