ख़्वाब में नाम तिरा ले के पुकार उठता हूँ
बे-ख़ुदी में भी मुझे याद तिरी याद की है
लाला माधव राम जौहर
यहाँ कोई न जी सका न जी सकेगा होश में
मिटा दे नाम होश का शराब ला शराब ला
मदन पाल
बे-ख़ुदी ले गई कहाँ हम को
देर से इंतिज़ार है अपना
मीर तक़ी मीर
यही तो कुफ़्र है यारान-ए-बे-ख़ुदी के हुज़ूर
जो कुफ़्र-ओ-दीं का मिरे यार इम्तियाज़ रहा
मिर्ज़ा अली लुत्फ़
आँख पड़ती है कहीं पाँव कहीं पड़ता है
सब की है तुम को ख़बर अपनी ख़बर कुछ भी नहीं
मोहम्मद अली तिशना
अल्लाह-रे बे-ख़ुदी कि चला जा रहा हूँ मैं
मंज़िल को देखता हुआ कुछ सोचता हुआ
मुईन अहसन जज़्बी
गई बहार मगर अपनी बे-ख़ुदी है वही
समझ रहा हूँ कि अब तक बहार बाक़ी है
मुबारक अज़ीमाबादी