कौन आता है अयादत के लिए देखें 'फ़राग़'
अपने जी को ज़रा ना-साज़ किए देते हैं
फ़राग़ रोहवी
जब न था ज़ब्त तो क्यूँ आए अयादत के लिए
तुम ने काहे को मिरा हाल-ए-परेशाँ देखा
हफ़ीज़ जौनपुरी
तंदुरुस्ती से तो बेहतर थी मिरी बीमारी
वो कभी पूछ तो लेते थे कि हाल अच्छा है
हफ़ीज़ जौनपुरी
आने लगे हैं वो भी अयादत के वास्ते
ऐ चारागर मरीज़ को अच्छा किया न जाए
हमीद जालंधरी
देखने आए थे वो अपनी मोहब्बत का असर
कहने को ये है कि आए हैं अयादत कर के
हसरत मोहानी
आन के इस बीमार को देखे तुझ को भी तौफ़ीक़ हुई
लब पर उस के नाम था तेरा जब भी दर्द शदीद हुआ
इब्न-ए-इंशा
अपनी ज़बाँ से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़ लोग
तुम से तो इतना हो सकता है पूछो हाल बेचारों का
इब्न-ए-इंशा